Gold Rate: वर्तमान समय में सोने के दाम लगातार नई ऊंचाइयों को छू रहे हैं। 12 जून 2025 को भी सोने की कीमतों में उल्लेखनीय वृद्धि देखने को मिली है। इस साल सोने के दामों में बेहिसाब बढ़ोतरी हुई है और फिलहाल 10 ग्राम सोना 97,000 रुपये से भी ऊपर ट्रेड कर रहा है। यह वृद्धि निवेशकों और आम उपभोक्ताओं दोनों के लिए चिंता का विषय बनी हुई है। सोने की बढ़ती कीमतों ने त्योहारी सीजन और शादी-विवाह के मौसम में खरीदारी की योजना बना रहे लोगों को परेशानी में डाल दिया है।
हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि सोने के दामों की यह तेजी अधिक लंबे समय तक नहीं चलने वाली है। बाजार विश्लेषकों के अनुसार आने वाले महीनों में सोने की कीमतों में महत्वपूर्ण गिरावट देखने को मिल सकती है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में सोने का भाव भी रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। कॉमेक्स पर सोने का भाव 3,400 डॉलर के करीब पहुंच गया है जो एक नया मील का पत्थर है। इस स्थिति ने दुनिया भर के निवेशकों और विश्लेषकों का ध्यान आकर्षित किया है।
सोने की कीमतों में वृद्धि के मुख्य कारण
सोने के दामों में हो रही वृद्धि के पीछे कई महत्वपूर्ण कारक हैं। मुख्य कारण अंतर्राष्ट्रीय टैरिफ वॉर और विभिन्न देशों के बीच बढ़ते व्यापारिक तनाव हैं। इन तनावों की वजह से दुनिया भर के बाजारों में अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है। निवेशक अपनी पूंजी को सुरक्षित रखने के लिए पारंपरिक निवेश विकल्पों से पैसा निकालकर सोने में निवेश कर रहे हैं। यह प्रवृत्ति सोने की मांग में तेजी से वृद्धि का कारण बनी है।
अमेरिका और ईरान के बीच बढ़ते तनाव ने भी सोने की कीमतों को प्रभावित किया है। भू-राजनीतिक अनिश्चितता के दौरान सोना हमेशा से एक सुरक्षित निवेश विकल्प माना जाता रहा है। शुरुआती कारोबार में हाजिर सोना 0.7 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 3,375.06 डॉलर प्रति औंस पर ट्रेड कर रहा है। वहीं अमेरिकी सोना वायदा में 1.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ 3,395 डॉलर प्रति औंस का स्तर छुआ है। ये आंकड़े दर्शाते हैं कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सोने की मांग कितनी तेजी से बढ़ रही है।
बाजार विशेषज्ञों के पूर्वानुमान
प्रतिष्ठित बाजार विश्लेषक जॉन मिल्स के अनुसार, सोने के दामों में आने वाले समय में महत्वपूर्ण गिरावट देखने को मिलेगी। उनका मानना है कि वर्तमान में सोने की ऊंची कीमतों का मुख्य कारण बाजार में अनिश्चितता और निवेशकों का डर है। जैसे-जैसे अंतर्राष्ट्रीय टैरिफ वॉर जैसे हालात सामान्य होंगे, बाजार में स्थिरता आएगी और निवेशक वापस पारंपरिक निवेश विकल्पों की ओर लौटेंगे। इससे सोने की मांग में कमी आएगी और परिणामस्वरूप कीमतों में गिरावट होगी।
मिल्स का अनुमान है कि जब तक बाजार की स्थिति सामान्य हो जाएगी, तब तक सोने की आपूर्ति भी बढ़ जाएगी। मांग में कमी और आपूर्ति में वृद्धि का यह संयोजन सोने की कीमतों पर दबाव डालेगा। उनके अनुसार यह स्थिति साल के अंत तक आ सकती है जब बाजार में हरियाली दिखाई देगी। तब निवेशक स्टॉक मार्केट और अन्य निवेश विकल्पों में वापसी करेंगे जिससे सोने से पैसा निकलेगा। यह विश्लेषण कई अन्य बाजार विशेषज्ञों द्वारा भी समर्थित है।
नवंबर-दिसंबर में संभावित कीमतें
जॉन मिल्स के विस्तृत विश्लेषण के अनुसार, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सोने की कीमतें साल के अंत तक 1,800 डॉलर प्रति औंस तक गिर सकती हैं। यह वर्तमान कीमतों से लगभग आधी कीमत होगी जो एक बहुत बड़ी गिरावट है। यदि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में इतनी गिरावट आती है तो भारतीय बाजार भी इससे अछूता नहीं रह सकता। डॉलर की कीमतों का सीधा प्रभाव भारतीय सोने की कीमतों पर पड़ता है।
भारतीय मुद्रा के हिसाब से देखें तो साल के अंत तक सोने की कीमत 56,000 रुपये प्रति 10 ग्राम तक पहुंच सकती है। इसका मतलब है कि नवंबर महीने में सोना लगभग 60,000 रुपये के आसपास हो सकता है और दिसंबर तक यह 56,000 रुपये प्रति 10 ग्राम तक गिर सकता है। यह वर्तमान कीमतों की तुलना में लगभग 40,000 रुपये प्रति 10 ग्राम की गिरावट होगी। ऐसी स्थिति में जिन लोगों को सोने की जरूरत नहीं भी होगी, वे भी सोना खरीदने की सोचेंगे क्योंकि कीमतें इतनी आकर्षक हो जाएंगी।
निवेशकों के लिए रणनीति
इस स्थिति में निवेशकों के लिए यह समझना महत्वपूर्ण है कि सोने में निवेश की सही रणनीति क्या होनी चाहिए। वर्तमान में सोने की ऊंची कीमतों को देखते हुए नई खरीदारी से बचना समझदारी हो सकती है। जो निवेशक पहले से सोने में निवेशित हैं, वे इस ऊंचे स्तर पर अपना कुछ सोना बेचकर मुनाफा बुक कर सकते हैं। फिर जब कीमतें गिरें तो वे दोबारा खरीदारी कर सकते हैं।
हालांकि यह भी याद रखना चाहिए कि बाजार के पूर्वानुमान हमेशा सही नहीं होते। कई बार अप्रत्याशित घटनाएं बाजार की दिशा बदल देती हैं। इसलिए निवेशकों को सावधानी बरतनी चाहिए और अपने निवेश को विविधीकृत रखना चाहिए। सोना एक अच्छा हेज है लेकिन इसमें पूरी पूंजी लगाना जोखिम भरा हो सकता है। विशेषज्ञों की सलाह लेकर ही कोई बड़ा निर्णय लेना बेहतर होगा।
आम उपभोक्ताओं के लिए सुझाव
आम उपभोक्ताओं के लिए यह समय धैर्य रखने का है। जिन लोगों को त्योहार या शादी-विवाह के लिए सोना खरीदना है, वे कुछ महीने इंतजार कर सकते हैं। यदि विशेषज्ञों के पूर्वानुमान सही साबित होते हैं तो साल के अंत तक सोना काफी सस्ता हो जाएगा। तब वे अपनी जरूरत के अनुसार सोना खरीद सकेंगे। इससे उन्हें काफी पैसे की बचत हो सकती है।
लेकिन यह भी ध्यान रखना चाहिए कि बाजार में कोई गारंटी नहीं होती। यदि किसी को तत्काल सोने की जरूरत है तो वे छोटी मात्रा में खरीदारी कर सकते हैं। बड़ी खरीदारी से बचना और बाजार की स्थिति का इंतजार करना समझदारी हो सकती है। सोने की कीमतों में उतार-चढ़ाव एक सामान्य प्रक्रिया है और धैर्य रखने वाले खरीदार अक्सर बेहतर डील पा सकते हैं।
Disclaimer
यह लेख सामान्य जानकारी के उद्देश्य से तैयार किया गया है। सोने की कीमतों में उतार-चढ़ाव बाजार की स्थितियों पर निर्भर करता है। कोई भी निवेश निर्णय लेने से पहले वित्तीय सलाहकार से परामर्श अवश्य लें। बाजार के पूर्वानुमान हमेशा सही नहीं होते और निवेश में जोखिम शामिल होता है।