चेक बाउंस मामले में हाईकोर्ट ने दिया सख्त फैसला, अब भुगतने होंगे गंभीर परिणाम bank cheque bounce case

By Meera Sharma

Published On:

bank cheque bounce case

bank cheque bounce case: आज के व्यापारिक जगत में चेक भुगतान का एक महत्वपूर्ण साधन है। लेकिन जब कोई चेक बाउंस हो जाता है, तो यह केवल एक साधारण वित्तीय समस्या नहीं रह जाती, बल्कि एक गंभीर कानूनी अपराध बन जाती है। भारतीय कानून व्यवस्था में चेक बाउंस को दंडनीय अपराध माना गया है। इसके तहत चेक जारी करने वाले व्यक्ति को न केवल आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ता है, बल्कि कानूनी कार्रवाई और सजा का भी डर रहता है।

चेक बाउंस होने के कई कारण हो सकते हैं जैसे खाते में पर्याप्त राशि का न होना, गलत हस्ताक्षर, तारीख की त्रुटि, या फिर खाता बंद होना। चाहे कारण कुछ भी हो, कानून की नजर में चेक बाउंस एक अपराध है। इसके लिए निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट की धारा 138 के तहत कार्रवाई की जाती है। इस धारा के अनुसार चेक बाउंस करने वाले को दो साल तक की जेल या राशि का दोगुना जुर्माना या दोनों सजा हो सकती है।

हाईकोर्ट का ताजा फैसला और उसका महत्व

यह भी पढ़े:
Toll Tax Rule 2025 अब टोल प्लाजा पर नहीं देना पड़ेगा टोल टैक्स, जान लें नियम Toll Tax Rule 2025

दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में चेक बाउंस के एक मामले में बेहद सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट कर दिया है कि चेक बाउंस के बाद दिया जाने वाला नोटिस एक अवसर होता है, न कि केवल औपचारिकता। यदि आरोपी इस अवसर का उपयोग करके भुगतान नहीं करता है, तो इसे नोटिस की जानबूझकर अनदेखी माना जाएगा। कोर्ट ने यह भी कहा है कि ऐसी स्थिति में चेक जारीकर्ता को गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।

हाईकोर्ट की यह टिप्पणी चेक से भुगतान करने वाले सभी लोगों के लिए एक चेतावनी है। कोर्ट ने यह संदेश दिया है कि नोटिस मिलने के बाद भी यदि कोई व्यक्ति भुगतान नहीं करता है, तो उसके खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज किया जा सकता है। यह फैसला चेक की विश्वसनीयता को बनाए रखने और वित्तीय लेन-देन में पारदर्शिता लाने के लिए महत्वपूर्ण है। इससे व्यापारिक समुदाय में चेक के प्रति भरोसा बना रहेगा।

मुकदमे का विवरण और निचली अदालत का फैसला

यह भी पढ़े:
Gold Rate मुंह के बल गिरेगा सोना, नवंबर दिसंबर 2025 तक इतने हो जाएंगे 10 ग्राम गोल्ड के रेट Gold Rate

इस मामले में संजय नाम के एक व्यक्ति ने बैंक से एक महीने के लिए 4.80 लाख रुपये का लोन लिया था। लोन की अदायगी के लिए उसने बैंक को एक चेक दिया था। जब यह चेक बैंक में जमा किया गया तो वह बाउंस हो गया। बैंक ने नियमानुसार संजय को 15 दिन का नोटिस भेजा, लेकिन उसने इस नोटिस की अनदेखी की और राशि का भुगतान नहीं किया।

मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट ने इस मामले की सुनवाई के बाद संजय को दोषी ठहराया। कोर्ट ने उसे तीन महीने की सजा सुनाई और साथ ही 7 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया। अदालत ने यह भी आदेश दिया कि यदि वह शिकायतकर्ता को चार महीने के अंदर यह राशि नहीं देता है, तो उसे तीन महीने की अतिरिक्त सजा भी भुगतनी होगी। बाद में यह मामला अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश के पास भी गया, जिन्होंने मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट के फैसले को सही ठहराया।

हाईकोर्ट में याचिका और अदालत का रुख

यह भी पढ़े:
Dearness Allowance 5 साल से अटके केंद्रीय कर्मचारियों के 18 महीने के बकाया DA एरियर पर आया बड़ा अपडेट Dearness Allowance

संजय ने निचली अदालत के फैसले से असंतुष्ट होकर दिल्ली हाईकोर्ट में पुनरीक्षण याचिका दायर की। उसने अदालत में दावा किया कि उसका चेक गुम हो गया था और उसने इसकी शिकायत भी दर्ज कराई थी। लेकिन जब हाईकोर्ट ने इस दावे की जांच की तो पाया कि संजय के पास इस बात का कोई सबूत या रिकॉर्ड नहीं था। उसने न तो चेक गुम होने की कोई रिपोर्ट दिखाई और न ही बैंक को चेक के भुगतान को रोकने के लिए कहा था।

हाईकोर्ट ने इन सभी तथ्यों को देखते हुए संजय की याचिका को खारिज कर दिया। अदालत ने कहा कि सबूतों के अभाव में निचली अदालत का फैसला सही है। हाईकोर्ट ने इस मामले में यह स्पष्ट संदेश दिया कि चेक बाउंस के मामलों में बहाने बनाना या झूठे दावे करना काम नहीं आएगा। अदालत सिर्फ ठोस सबूतों के आधार पर ही फैसला करती है।

चेक बाउंस के कानूनी परिणाम

यह भी पढ़े:
Supreme Court Decision सुप्रीम कोर्ट ने बताया- किराएदार का कब हो जाएगा प्रोपर्टी पर कब्जा, मकान मालिक जरूर जान लें फैसला Supreme Court Decision

चेक बाउंस होने पर कानूनी प्रक्रिया शुरू होती है जिसमें पहले चेक धारक को 30 दिन के अंदर लिखित नोटिस देना होता है। यदि इस नोटिस के बाद भी भुगतान नहीं किया जाता है, तो नोटिस की तारीख से 30 दिन के बाद और एक साल के अंदर शिकायत दर्ज की जा सकती है। इस शिकायत के आधार पर मजिस्ट्रेट कोर्ट में मुकदमा चलता है। अगर आरोपी दोषी पाया जाता है तो उसे दो साल तक की सजा या चेक की राशि का दोगुना जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।

चेक बाउंस का मामला सिविल और क्रिमिनल दोनों तरह का हो सकता है। क्रिमिनल केस में आरोपी को जेल भी जाना पड़ सकता है। इसके अलावा उसकी साख भी खराब होती है और भविष्य में लोन या क्रेडिट लेने में समस्या आती है। बैंकों और वित्तीय संस्थानों में भी उसका रिकॉर्ड खराब हो जाता है। इसलिए चेक देते समय यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि खाते में पर्याप्त राशि हो।

सावधानियां और सुझाव

यह भी पढ़े:
Reserve Bank of India 100 रुपये के नोट को लेकर RBI ने जारी की गाइडलाइन Reserve Bank of India

चेक बाउंस से बचने के लिए कुछ महत्वपूर्ण सावधानियां बरतनी चाहिए। चेक देने से पहले हमेशा यह सुनिश्चित करें कि आपके खाते में पर्याप्त राशि है। चेक देने की तारीख और राशि को सही तरीके से भरें। हस्ताक्षर स्पष्ट और बैंक रिकॉर्ड के अनुसार करें। यदि किसी कारण से चेक का भुगतान नहीं हो सकता, तो तुरंत चेक लेने वाले से संपर्क करें और स्थिति स्पष्ट करें।

व्यापारिक लेन-देन में चेक का उपयोग करते समय विशेष सावधानी बरतें। अगर आपको लगता है कि किसी वजह से चेक बाउंस हो सकता है, तो पहले से ही वैकल्पिक भुगतान का इंतजाम करें। आजकल डिजिटल भुगतान के कई विकल्प उपलब्ध हैं जो अधिक सुरक्षित और तत्काल हैं। हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद सभी को चेक का उपयोग करते समय अधिक सतर्क रहना चाहिए क्योंकि अब कोर्ट इन मामलों में पहले से कहीं अधिक सख्त रुख अपना रही है।

Disclaimer

यह भी पढ़े:
DA Arrear केंद्रीय कर्मचारियों को 18 महीने का बकाया महंगाई भत्ता देगी सरकार, जानिये लेटेस्ट अपडेट DA Arrear

यह लेख केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से तैयार किया गया है। किसी भी कानूनी मामले में विशेषज्ञ सलाह लेना आवश्यक है। चेक से संबंधित किसी भी समस्या के लिए वकील या कानूनी सलाहकार से संपर्क करें।

Meera Sharma

Meera Sharma is a talented writer and editor at a top news portal, shining with her concise takes on government schemes, news, tech, and automobiles. Her engaging style and sharp insights make her a beloved voice in journalism.

Leave a Comment

Join Whatsapp Group